डॉ कलाम स्मारक
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में भारत के मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का एक स्मारक यानी मेमोरियल है ? अगर नहीं जानते हैं तो आप ऐसे अकेले शख़्स नहीं हैं क्योंकि जहाँ ये समारक है उस जगह मैं रेगुलर बेसिस पे जाती रहती हूँ पर कभी पता ही नहीं चला कि वहाँ पर डॉ कलाम की यादों को समेटे कोई एक छोटी सी जगह भी है । इसकी वजह शायद पब्लिसिटी की कमी है क्योंकि वहां उनके जो पोस्टर्स लगे हैं वो काफ़ी छोटे हैं और एंट्री करते हुए भीड़ में कहीं छुप जाते हैं, उन पर किसी की नज़र ही नहीं पड़ती।
अगर आप दिल्ली हाट INA जाते हों या फ्यूचर में जाने की इच्छा रखते हों तो आप डॉ कलाम मेमोरियल भी जा सकते हैं। दिल्ली हाट के गेट नं 2 से तो एकदम फ्री एंट्री हैं लेकिन आप अगर दिल्ली हाट जा रहे हैं तो एंट्री लेते ही नाक की सीध में चलते जाएँ। लास्ट में जहाँ स्टेज हैं उससे पहले सीधे हाथ की तरफ़ स्टाल्स लगते हैं बस वहीं मुड़ जाएँ और आगे बढ़ते रहे आप कलाम मेमोरियल तक पहुँच जाएंगे, जिस का उद्घाटन 30 जुलाई 2016 को हुआ था।
बहुत कम लोग होते हैं जो सबके दिलों में बसते हैं, जिनका सभी सम्मान करते हैं। ऐसी ही हस्ती थे डॉ कलाम जिनसे कभी न कभी सभी प्रेरित हुए हैं और मेरी तो जिससे भी बात हुई है उसे डॉ कलाम की तारीफ़ करते हुए ही पाया है। उनके जैसे शानदार इंसान को थोड़ा नज़दीक़ से जानने के लिए भी इस मेमोरियल को देखना ज़रुरी हो जाता है।
कलाम मेमोरियल में एंट्री करते ही सबसे पहले आपको एक बड़ा सा स्टेचू नज़र आएगा जिसमें कुछ बच्चों के साथ डॉ कलाम खड़े हैं। अंदर जाते ही हर दीवार पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स आपको दिख जाएंगे जिन पर डॉ कलाम का जीवन परिचय और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ लिखी हैं। साथ ही एक आवाज़ सुनाई देती हैं जो throughout आपके साथ उस मेमोरियल का सफ़र तय करती है, उस A/V में कुछ बच्चे डॉ कलाम के विषय में अपने विचार साँझा कर रहे हैं।
डॉ कलाम की जयंती और कुछ विशेष अवसरों पर डॉ कलाम फाउंडेशन की तरफ़ से यहाँ ड्राइंग कम्पटीशन का आयोजन किया जाता है जिसमें अलग-अलग स्कूलों से चुने हुए बच्चे आते हैं। उन्हीं बच्चों द्वारा बनाए गए कुछ पोर्ट्रेट यहाँ आप देख सकते हैं। स्टिप्लिंग, पेंसिल शेडिंग, फ़्लैट पोस्टर कलर्स से बने ये पोर्ट्रेट देखकर बच्चों के हुनर का पता चलता है। एक पोर्ट्रेट ऐसा है जिसे आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि उस पूरे पोर्ट्रेट में तमिल में उनका नाम लिखा है। कुछ और पेंटिंग्स हैं जो अलग-अलग कलाकारों ने बनाई हैं।
थोड़ा आगे जाएँगे तो जितने भी पिलर्स हैं वहां डॉ कलाम के कोट्स पढ़ने को मिलेंगे। और फिर शुरु होगी वो यात्रा जहाँ आप महसूस कर पाएँगे कि एक इतना बड़ा इंसान कितनी साधारण ज़िंदगी जीता था। शायद इसीलिए उन्हें पीपल्स प्रेजिडेंट कहा जाता है। उनके मॉर्निंग वॉक की टी-शर्ट, दो सूट, चश्मा उनसे जुड़ी बहुत सी यादगार चीज़ें यहाँ देखने को मिल जाती हैं। किताबों की तो कई अलमारियां हैं। मैं यहाँ जितना भी बता दूँ कम है क्योंकि कुछ चीज़ों को सामने देखकर ही महसूस किया जा सकता है।
यूँ तो हमारे देश में म्यूजियम या मेमोरियल जाने का कल्चर नहीं है ख़ासतौर पर दिल्ली जैसी जगहों पर। अगर कभी गए भी तो सिर्फ़ बच्चों के लिए वो भी तब जब कोई स्कूल प्रोजेक्ट हुआ या जब ऐसी जगहों पर जाने में ख़ुद बच्चे या उसके माता-पिता की रुचि हो, वर्ना लोग बच्चों को भी मॉल ले जाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। शायद इसीलिए स्मारक या संग्रहालय आमतौर पर ख़ाली रहते हैं। लेकिन कभी ऐसी जगहों पर जाकर देखिए, वहाँ की वाइब्रेशंस को महसूस कीजिए। और एक छोटी सी बात ये कि जब हम हम ऐसी जगहों पर जाते हैं तो अक्सर चुपचाप देखकर वापस आ जाते हैं, चाहे कुछ सवाल अंदर ही अंदर उमड़-घुमड़ रहे हों, पूछते नहीं हैं तो मेरी सलाह यही है कि अगर किसी पेंटिंग या किसी और चीज़ के बारे में कोई सवाल ज़हन में आये तो वहाँ बैठे किसी व्यक्ति से ज़रुर पूछ लें अगर वो व्यक्ति नहीं बता सकेगा तो किसी ऐसे से मिलवा देगा तो बता सकता हो।
कितना भाग दौड़ रहे हैं हम चाहे वो सोशल मीडिया पर चले जाएँ या टीवी पर हर जगह लोग बस एक-दूसरे से आगे निकल जाना चाहते हैं। कभी-कभी ऐसी जगहें आपको अनजाने एक सुकून दे जाती हैं। ख़ासतौर पर अगर आप डॉ कलाम के प्रशंसक है ( शायद ही कोई होगा जो उनका प्रशंसक न हो ) तो मेरी राय में आपको यहाँ ज़रुर जाना चाहिए। सोमवार को छोड़कर सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक कलाम मेमोरियल खुला रहता है। अंदर वीडियोग्राफी की इजाज़त नहीं है, हाँ आप फ़ोटोज़ के ज़रिए कुछ यादें इकठ्ठा कर सकते हैं।