Tuesday, September 10, 2019

वक़्त के क़दम से क़दम मिलाती- मैत्रेयी कॉलेज की लाइब्रेरी

पिछले दिनों मुझे बताया गया कि अगले एपिसोड के लिए हम मैत्रेयी कॉलेज की लाइब्रेरी शूट करने जाएंगे। ये सुनकर मेरे ज़हन में कुछ सवाल आए कि एक कॉलेज की लाइब्रेरी क्यों ? दिल्ली में तो बहुत से कॉलेज हैं, तो फिर मैत्रेयी कॉलेज ही क्यों ? पर जब मैं वहाँ पहुँची तो महसूस हुआ कि अगर वहाँ न जाती तो बहुत कुछ मिस कर देती। दरअस्ल जिन दिनों मैं कॉलेज में थी उन दिनों या उसके बाद भी मैत्रेयी कॉलेज कभी भी मेरे आकर्षण का केंद्र नहीं रहा था, न ही वो कभी मेरी "PRIORITY" लिस्ट में शामिल रहा। इसलिए वहाँ जाने के लिए मैं बहुत उत्साहित नहीं थी पर जाना तो था, इसलिए 3 सितम्बर को 5 लोगों की टीम वहाँ के लिए निकल पड़ी। हममें से किसी को भी रास्ता पता नहीं था इसलिए रास्ता भटक गए और फिर पहुँचे "गूगल बाबा" की शरण में। उसके बाद कुछ लोगों से पूछते-पाछते हम कॉलेज पहुँचे तो क़रीब सवा चार बज चुके थे। कॉलेज लगभग ख़ाली था, वहाँ कुछेक स्टूडेंट्स के अलावा लाइब्रेरी का स्टाफ मौजूद था, शायद वो हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे।



अंदर जाकर हम डॉ प्रदीप राय से मिले जो मैत्रेयी कॉलेज में लाइब्रेरियन हैं। पहले ही काफ़ी देर हो चुकी थी इसलिए उन्हें अपना परिचय देकर हम सीधे काम पर लग गए यानी शूट शुरु कर दिया। डॉ प्रदीप ने उस लाइब्रेरी के बारे में जब बताना शुरु किया तो वक़्त बढ़ता ही गया, हमें समझ नहीं आ रहा था कि हम उन्हें कहाँ रोकें, क्योंकि हमारा सेगमेंट 5 से 7 मिनट तक का ही होता है। ज़्यादा शूट मतलब ज़्यादा एडिटिंग, इसलिए न चाहते हुए भी हमें उन्हें वाइंड-अप का इशारा करना पड़ा। सच कहूँ तो वाक़ई उस लाइब्रेरी के बारे में बताने को बहुत कुछ है। हमारे कॉलेज तकनीकी रुप से बहुत आगे बढ़ गए हैं, अब बहुत सी सुविधाएँ बस एक क्लिक पर मिल जाती हैं। जो आज के दौर में युवा-वर्ग के ज्ञानवर्धन और तरक़्क़ी के लिए वाक़ई बहुत ज़रुरी है।

मैत्रेयी कॉलेज का ये पुस्तकालय सिर्फ़ कॉलेज की छात्राओं और शिक्षकों के लिए ही है, लेकिन शोध करने या किसी ख़ास विषय पर जानकारी लेने के लिए रेफेरेंस के माध्यम से इस पुस्तकालय की सुविधाओं का लाभ दूसरे विद्यार्थी भी उठा सकते हैं। इस पुस्तकालय को मुख्य रुप से तीन भागों में बाँटा गया है:-
Text Books Section, Reference Section और Reading Room Section.

इनके अलावा यहाँ एक बुक बैंक भी है, जहाँ से ग़रीब और ज़रुरतमंद विद्यार्थी किताबें ले सकते हैं। इस लाइब्रेरी में 90,000 से ज़्यादा किताबें हैं। हिंदी इंग्लिश के क़रीब 20 अख़बार और क़रीब 60 जर्नल्स और मैगज़ीन्स विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाती हैं।


मैत्रेयी कॉलेज की लाइब्रेरी इस मायने में बहुत ख़ास है कि यहाँ दिव्यांगजन की ज़रुरतों को देखते हुए कई सुविधाएं दी गई हैं। यहाँ ग्राउंड फ़्लोर पर एक यूनिट है, जिसमें Lex कैमरा और Jaws टॉकिंग सॉफ्टवेयर और Supernova मैग्नीफायर सॉफ़्टवेयर की मदद से नेत्रहीन और अल्प-दृष्टि वाले विद्यार्थी भी आसानी से किताब पढ़ और समझ सकते हैं। कैमरा के नीचे किताब रख दी जाती है, टॉकिंग सॉफ्टवेयर उसे पढ़ कर सुनाता है और मैग्नीफायर सॉफ्टवेयर शब्दों को बड़ा करके दिखाता है।

शोधार्थियों के लिए भी यहाँ एक कोना अलग से है। ICSSR के तहत एक शोधार्थी थाईलैंड से आई थीं उनकी स्टडी के मुताबिक़ दिल्ली में इंस्टीट्यूशनल रेपोसेट्री सिर्फ़ चार इंस्टीट्यूशंस के पास है और मैत्रेयी कॉलेज दिल्ली में अकेला ऐसा कॉलेज है जिसके पास अपनी एक इंस्टीट्यूशनल रेपोसेट्री है, जिसमें पिछले पैंतीस सालों का सिलेबस संकलित किया गया है।

मैत्रेयी कॉलेज N-List के अंतर्गत रजिस्टर्ड है, इसलिए यहाँ का हर वो विद्यार्थी जिसे कॉलेज की तरफ़ से वैध User Name और पासवर्ड दिया गया है, ई-बुक्स, ई-जर्नल्स और डेटाबेस को एक्सेस कर सकता है। ये कॉलेज "DELNET" का सदस्य भी है जिसके माध्यम से छात्राएँ देश के अन्य पुस्तकालयों के नेटवर्क से जुड़ सकती हैं।  इसका फ़ायदा ये है कि अगर कोई ज़रुरी किताब, जर्नल या लेख कॉलेज की लाइब्रेरी में उपलब्ध नहीं है, तो इस इंटर लाइब्रेरी से उन्हें उपलब्ध कराया जाता है। मैत्रेयी कॉलेज की लाइब्रेरी में बहुत सी दुर्लभ पुस्तकें भी पढ़ने के लिए रखी गई हैं। यहाँ मैंने पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी, मोरारजी देसाई जैसी कई मशहूर हस्तियों की स्पीचीस का कलेक्शन भी देखा और बहुत पुराने शब्दकोष और इनसाइक्लोपीडिया भी देखे।




इस पुस्तकालय में और भी बहुत कुछ देखा जिसे शब्दों में बयाँ करना थोड़ा मुश्किल है। वो है यहाँ के सभी कर्मचारियों और सदस्यों का जोश और मेहनत जिसकी वजह से मैत्रेयी कॉलेज की ये लाइब्रेरी वक़्त के क़दम से क़दम मिला कर चल रही है। 

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