Friday, September 6, 2019

पुस्तकालयों का सफ़र- मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय

पिछले साल एक प्रॉजेक्ट मिला जिसमें मुझे टीवी के लिए हिंदी साहित्य पर एक प्रोग्राम डिज़ाइन करने को कहा गया। उन दिनों यूँ भी कुछ ख़ास काम नहीं था तो मैं बहुत उत्साहित हो गई और क़रीब 15 दिन की दिमागी कसरत के बाद उस कार्यक्रम की स्पष्ट रुपरेखा सामने आ गई। फिर कुछ डिस्कशन और फेर-बदल हुए, और आख़िरकार उसका समुचित प्रारुप तैयार हो गया। साहित्य का प्रोग्राम है तो हमने उसके एक सेगमेंट में दिल्ली की लाइब्रेरीज़ को कवर करने की योजना बनाई। आज के दौर में बहुत से लोगों को ये लगता है कि लाइब्रेरीज़ की कोई ज़रुरत ही नहीं रह गई है, क्योंकि इंटरनेट आपको हर जानकारी मुहैया करा देता है, ख़ासतौर पर "गूगल बाबा" तो हर समस्या का समाधान नज़र आते हैं। ऐसे में इस सेगमेंट के लिए प्रोड्यूसर को कन्विंस करना एक बड़ा काम था पर आख़िरकार वो रिस्क लेने को तैयार हो गए। शुरुआत की गई चाँदनी चौक में बरसों से चल रहे मारवाड़ी पुस्तकालय से, जिसे मारवाड़ी चेरिटेबल ट्रस्ट चलाता है। और एक दिन हम अपनी पूरी टीम के साथ वहाँ पहुँच गए।



वहाँ हमें बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला। सबसे पहले मुलाक़ात हुई उस समय के प्रधान सुरेश सिंघानिया और कोषाध्यक्ष अशोक तुलस्यान से। जिन्होंने लाइब्रेरी के साथ-साथ पूरे मारवाड़ी समाज और चेरिटेबल ट्रस्ट के बारे में हमें बताया कि किस तरह से मारवाड़ी हॉस्पिटल और स्कूल समाज में अपना योगदान दे रहे हैं। फिर हमारी मुलाक़ात हुई लाइब्रेरी के सचिव राजनारायण सर्राफ़ से जो बहुत ही गर्मजोशी से हमसे मिले और लाइब्रेरी के विषय में और भी कई बातों से उन्होंने हमें अवगत कराया।


उन लोगों से और वहाँ लगे कुछ पोस्टर्स से हमें पता चला कि मारवाड़ी पुस्तकालय को आचार्य चतुरसेन शास्त्री के परामर्श से शुरु किया गया था। स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक सेठ केदारनाथ गोयनका ने 1915 में विजय दशमी के दिन इसकी स्थापना की थी। सेठ गोयनका महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे, इसीलिए उन्होंने देश सेवा की ख़ातिर अपना कपड़ों का व्यवसाय बंद कर दिया था। हमें बताया गया कि इस पुस्तकालय का स्वतंत्रता आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान रहा है। यहाँ कांग्रेस की गुप्त सभाएं भी हुआ करती थीं। महात्मा गाँधी, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, मदन मोहन मालवीय, मैथिलीशरण गुप्त और हरिवंशराय बच्चन जैसी अनेक महान हस्तियाँ यहाँ आया करती थीं, जिनका हस्त-लेख आज भी यहाँ की विज़िटर्स बुक में सुरक्षित है। उनके अलावा मौजूदा दौर की भी कई जानी-मानी हस्तियाँ यहाँ अक्सर आया करती हैं जिनमें एक ज़माने में दूरदर्शन की न्यूज़ रीडर रह चुकी सरला माहेश्वरी भी शामिल हैं।


इस लाइब्रेरी में हिंदी, उर्दू, इंग्लिश और अन्य विषयों की लगभग 30,000 किताबें, 700 सन्दर्भ ग्रन्थ और 21 दुर्लभ पाण्डुलिपियों के अलावा क़रीब 2000 पत्र-पत्रिकाओं का संग्रह भी है, जिनमें चाँद, सरस्वती, सुधा, हंस जैसी पत्रिकाओं के पुराने अंक भी शामिल हैं। नए ज़माने में इंटरनेट की उपयोगिता को देखते हुए यहाँ ई-बुक्स का भी अच्छा कलेक्शन है। इसके अलावा ये लाइब्रेरी INDEST (इंडियन नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी) सुविधा भी उपलब्ध कराती है, जिसे यहाँ के सदस्य लाइब्रेरी के साथ-साथ घर बैठ कर भी एक्सेस कर सकते हैं। विभिन्न विषयों पर शोध करने वाले छात्र और हिंदी साहित्य में पीएचडी करने वालों के लिए ये पुस्तकालय बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी करने वालों को पुस्तकों के साथ-साथ पढ़ने के लिए एक अच्छा माहौल भी मिलता है। 

इस पुस्तकालय को हेरिटेज अवार्ड से नवाज़ा जा चुका है। इस लाइब्रेरी की इमारत को 1994 में हेरिटेज बिल्डिंग घोषित किया गया था, जिसकी वजह है इसका इंटीरियर। ये लाइब्रेरी चाँदनी चौक में हल्दीराम की दुकान के ठीक ऊपर है। जब आप ऊपर चढ़ेंगे तो  पुराने ज़माने के खड़े-ऊँचे ज़ीनों से आपका सामना होगा, जो पुरानी दिल्ली के प्राचीन वास्तु की पहचान हैं। दरअस्ल ये इमारत अपने समय के प्रचलित स्टाइल और एलिमेंट का फ्यूज़न है।

अगर आपको किताबें पढ़ने का शौक़ है और पुरानी इमारतें आपको आकर्षित करती हैं, तो आपको यहाँ कम से कम एक बार ज़रुर जाना चाहिए।  ये लाइब्रेरी मंगलवार से रविवार तक सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक खुली रहती है। ध्यान रखिएगा कि ये सोमवार को बंद रहती है।

10 comments:

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  2. Beautifully described. I always wanted to know more about this library. Thank for the information. Indeed in this fast world books are loosing its sheen but still there are people who are voracious for books.

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    1. yes... you are right Preeti.
      Thanks for your valuable comment
      Pls keep reading this blog there are more interesting info you'll get about libraries and Delhi.

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  3. Really good approach as v r not aware of such libraries r exist now,pls do work on fine art libraries too.

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  4. It's Thoroughly described.. properly sort after n a marvelous work has bieng done👍

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. श्रीमान जी
    मेरे पास reader digest की पूरा set है
    जो मैं आपकी library मैं देना चाहती हूँ
    कैसे करूँ हेल्प करे मंजु जैन
    9818573358

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