पुस्तकालयों के इस सफ़र में एक अनुभव गज़ब का रहा, वहाँ जाकर मैं ख़ुद हैरत में पड़ गई। अगर आप कभी पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से गुज़रे हों तो शायद आपकी नज़र दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी पर पड़ी हो, जिसकी इमारत ठीक रेलवे स्टेशन के सामने है। हाल-फ़िलहाल में गए होंगे तो एक साफ़-सुथरी इमारत पर बड़े-बड़े अक्षरों में हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में लिखा देखा होगा -दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी। लेकिन जो लोग सालों से वहाँ नहीं गए उनके लिए उस इमारत को पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अपने स्कूल-कॉलेज के दौर में कभी-कभी मैं पापा के साथ वहाँ जाया करती थी। उन दिनों उस इमारत की हालत बहुत ही ख़स्ता थी, एक पुराना सा बोर्ड लगा हुआ था, जिसे ध्यान से देखने पर ही लाइब्रेरी के बारे में पता चलता था। वर्ना उसके आगे से गुज़रने पर भी ये जानना मुश्किल होता था कि वहाँ कोई लाइब्रेरी है। अंदर भी कोई ख़ास अच्छे हालात नहीं थे, इसीलिए हम सिर्फ़ किताबें इशू कराके लौट आते थे और कई बार तो घर आकर पता चलता था कि उन किताबों की हालत भी अच्छी नहीं थी। कम से कम मेरी याददाश्त में तो उस लाइब्रेरी की यही छवि उभरती है, लेकिन अब उसकी पूरी तरह कायापलट हो चुकी है।
ज़रा सोचिए कि एक सार्वजनिक पुस्तकालय में किताबों के अलावा और क्या-क्या सुविधाएँ मिल सकती हैं !! अगर मैं कहूँ कि जिम, योग-सेंटर, कैफ़े, ऑडिटोरियम तो शायद आपको यक़ीन नहीं होगा, पर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में ये सभी सुविधाएं अपने सदस्यों के लिए मुहैया कराई जाती हैं।
इनके अलावा ई-लाइब्रेरी है और बच्चों के लिए एक कोना अलग से। ये सब बातें DPL की सेंट्रल ब्रांच की हैं, जो श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग पर स्थित है। इसके अलावा चार ज़ोन में चार और शाखाएँ हैं और उन चारों की Sub-Branches भी हैं और सब की अपनी-अपनी ख़ासियत है। इन सबके अलावा ओबेरॉय होटल के पास लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर B.R.A. बिल्डिंग में एक ब्रेल लाइब्रेरी भी है।
1944 में जब भारत आज़ादी पाने के क़रीब ही था तब दिल्ली में एक पब्लिक लाइब्रेरी बनाने पर विचार-विमर्श चल रहा था। उस समय रामकृष्ण डालमिया ने पुस्तकालय की इमारत बनांने के लिए कुछ रक़म अनुदान में दी थी। उसके बाद 1950 में भारत सरकार और UNESCO ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी ली और 27 अक्टूबर 1951 को दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की बाक़ायदा शुरुआत हुई।
पूरे भारत में चार पुस्तकालय ऐसे हैं जिनमें पार्लियामेंट के 1954 के Delivery of Books and Newspaper एक्ट के तहत हर भारतीय प्रकाशक को अपने प्रकाशन की पुस्तक की एक कॉपी फ्री में उपलब्ध कराना ज़रुरी है। DPL उनमें से एक है इन मायनों में ये एक बड़ी डेपोसिट्री लाइब्रेरी है, जो मोबाइल लाइब्रेरी सेवा भी उपलब्ध कराती है। "घर-घर दस्तक, घर-घर पुस्तक" अभियान के तहत इस लाइब्रेरी की पाँच बसें हैं जो एक हफ्ते में 100 पॉइंट्स को कवर करती हैं, इनमें से 25 जगहों पर ब्रेल पॉइंट्स बनाए गए हैं।
अगर आप लाइब्रेरी तक नहीं जा सकते तो भी कोई बात नहीं है आप यहाँ के कंट्रोल रुम में फ़ोन करके बहुत ही कम शुल्क पर घर बैठे किताबें मँगा सकते हैं, शर्त इतनी है कि आप इस लाइब्रेरी के सदस्य हों। सदस्य होने पर आप नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं जिसमें कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालयों को एक ही वेब पोर्टल पर जोड़ा गया है। DPL की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर कई ऐसे लिंक आपको मिल जाएँगे जहाँ से आप फ़्री E-Books पढ़ और डाउनलोड कर सकते हैं, और कई ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
अगर किसी पुरानी ख़बर को खंगालना हो तो भी आप यहाँ जा सकते हैं, क्योंकि यहाँ 1954 से लेकर मौजूदा समय तक के कई मशहूर अख़बारों को संजो कर रखा गया है। इसके अलावा यहाँ के गैज़ेट सेक्शन में ऐसे बहुत से मूल्यवान जर्नल्स हैं जिनमें विधि-निर्माण, नियम और आधिकारिक घोषणाओं के रेकॉर्ड्स हैं। यहाँ दो सभागार भी हैं जहाँ अक्सर बुक रीडिंग सेशंस, स्टोरी टेलिंग सेशंस के अलावा काव्य संगोष्ठी, सेमीनार, पुस्तक लोकार्पण जैसे कार्यक्रम होते रहते हैं, बच्चों की छुट्टियों में तरह तरह की प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है।
DPL में बुज़ुर्गों, महिलाओं और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए एक ख़ास जगह हमेशा आरक्षित रहती है, ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े। और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए ही बनाया गया है "Chai-Brary" बुक कैफ़े, जहाँ बैठ कर आप अपनी पसंद की किताबें पढ़ने के साथ साथ चाय-कॉफ़ी और स्नैक्स का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने
सदस्यता फ़ीस:- 20 रुपए
समय:- 9:30AM - 6:00 PM
ज़रा सोचिए कि एक सार्वजनिक पुस्तकालय में किताबों के अलावा और क्या-क्या सुविधाएँ मिल सकती हैं !! अगर मैं कहूँ कि जिम, योग-सेंटर, कैफ़े, ऑडिटोरियम तो शायद आपको यक़ीन नहीं होगा, पर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में ये सभी सुविधाएं अपने सदस्यों के लिए मुहैया कराई जाती हैं।
इनके अलावा ई-लाइब्रेरी है और बच्चों के लिए एक कोना अलग से। ये सब बातें DPL की सेंट्रल ब्रांच की हैं, जो श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग पर स्थित है। इसके अलावा चार ज़ोन में चार और शाखाएँ हैं और उन चारों की Sub-Branches भी हैं और सब की अपनी-अपनी ख़ासियत है। इन सबके अलावा ओबेरॉय होटल के पास लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर B.R.A. बिल्डिंग में एक ब्रेल लाइब्रेरी भी है।
1944 में जब भारत आज़ादी पाने के क़रीब ही था तब दिल्ली में एक पब्लिक लाइब्रेरी बनाने पर विचार-विमर्श चल रहा था। उस समय रामकृष्ण डालमिया ने पुस्तकालय की इमारत बनांने के लिए कुछ रक़म अनुदान में दी थी। उसके बाद 1950 में भारत सरकार और UNESCO ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी ली और 27 अक्टूबर 1951 को दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की बाक़ायदा शुरुआत हुई।
पूरे भारत में चार पुस्तकालय ऐसे हैं जिनमें पार्लियामेंट के 1954 के Delivery of Books and Newspaper एक्ट के तहत हर भारतीय प्रकाशक को अपने प्रकाशन की पुस्तक की एक कॉपी फ्री में उपलब्ध कराना ज़रुरी है। DPL उनमें से एक है इन मायनों में ये एक बड़ी डेपोसिट्री लाइब्रेरी है, जो मोबाइल लाइब्रेरी सेवा भी उपलब्ध कराती है। "घर-घर दस्तक, घर-घर पुस्तक" अभियान के तहत इस लाइब्रेरी की पाँच बसें हैं जो एक हफ्ते में 100 पॉइंट्स को कवर करती हैं, इनमें से 25 जगहों पर ब्रेल पॉइंट्स बनाए गए हैं।
अगर आप लाइब्रेरी तक नहीं जा सकते तो भी कोई बात नहीं है आप यहाँ के कंट्रोल रुम में फ़ोन करके बहुत ही कम शुल्क पर घर बैठे किताबें मँगा सकते हैं, शर्त इतनी है कि आप इस लाइब्रेरी के सदस्य हों। सदस्य होने पर आप नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं जिसमें कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालयों को एक ही वेब पोर्टल पर जोड़ा गया है। DPL की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर कई ऐसे लिंक आपको मिल जाएँगे जहाँ से आप फ़्री E-Books पढ़ और डाउनलोड कर सकते हैं, और कई ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
अगर किसी पुरानी ख़बर को खंगालना हो तो भी आप यहाँ जा सकते हैं, क्योंकि यहाँ 1954 से लेकर मौजूदा समय तक के कई मशहूर अख़बारों को संजो कर रखा गया है। इसके अलावा यहाँ के गैज़ेट सेक्शन में ऐसे बहुत से मूल्यवान जर्नल्स हैं जिनमें विधि-निर्माण, नियम और आधिकारिक घोषणाओं के रेकॉर्ड्स हैं। यहाँ दो सभागार भी हैं जहाँ अक्सर बुक रीडिंग सेशंस, स्टोरी टेलिंग सेशंस के अलावा काव्य संगोष्ठी, सेमीनार, पुस्तक लोकार्पण जैसे कार्यक्रम होते रहते हैं, बच्चों की छुट्टियों में तरह तरह की प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है।
DPL में बुज़ुर्गों, महिलाओं और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए एक ख़ास जगह हमेशा आरक्षित रहती है, ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े। और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए ही बनाया गया है "Chai-Brary" बुक कैफ़े, जहाँ बैठ कर आप अपनी पसंद की किताबें पढ़ने के साथ साथ चाय-कॉफ़ी और स्नैक्स का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने
सदस्यता फ़ीस:- 20 रुपए
समय:- 9:30AM - 6:00 PM
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